भारत-दर्शन संकलन | Collections साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 67

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लालबहादुर शास्त्री

भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश के एक सामान्य निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। आपका वास्तविक नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। शास्त्री जी के पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक शिक्षक थे व बाद में उन्होंने भारत सरकार के राजस्व विभाग में क्लर्क के ...

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सुभाषबाबू का हिन्दी प्रेम

सुभाषबाबू हिन्दी पढ़ लिख सकते थे, बोल सकते थे मगर वह इसमें बराबर हिचकते और कमी महसूस करते थे। वह चाहते थे कि हिन्दी में वह हिन्दी भाषी लोगों की तरह ही सब काम कर सकें।एक दिन उन्होंने अपने उदगार प्रकट करते हुए कहा, "यदि देश में जनता के साथ राजनीति करनी है, तो उसका माध्यम हिन्दी ही हो सकती है। बंगाल...

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गांधी का हिंदी प्रेम

महात्मा गांधी की मातृभाषा यद्यपि गुजराती थी तथापि वे भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में जनसंपर्क हेतु हिन्दी को ही सर्वाधिक उपयुक्त भाषा मानते थे।
सन् 1917 ई. में कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन के अवसर पर राष्ट्रभाषा प्रचार संबंध कांफ्रेन्स में तिलक ने अपना भाषण अंग्रेज़ी में दिया था जिसे सुनने के बाद ग...

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हिंदी मातु हमारी - प्रो. मनोरंजन

प्रो. मनोरंजन जी, एम. ए, काशी विश्वविद्यालय की यह रचना लाहौर से प्रकाशित 'खरी बात' में 1935 में प्रकाशित हुई थी।
कह दो पुकार कर, सुन ले दुनिया सारी।हम हिंद-तनय हैं, हिंदी मातु हमारी।।
भाषा हम सबकी एक मात्र हिंदी है।आशा हम सबकी एक मात्र हिंदी है।।शुभ सदगुण-गण की खान यही हिंदी है।भारत की तो बस प्...

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माली की सीख

छह-सात वर्ष का एक बालक अपने साथियों के साथ एक बगीचे में फूल तोड़ने के लिए गया। तभी बगीचे का माली आ पहुँचा। अन्य साथी भागने में सफल हो गए, लेकिन सबसे छोटा और कमज़ोर होने के कारण एक बालक भाग न पाया। माली ने उसे धर दबोचा।
नन्हे बालक ने धीमे स्वर में माली से कहा - "मेरे पिता नहीं हैं शायद इसलिए आप ...

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दो अक्टूबर - रत्न चंद 'रत्नेश'

लाल बहादुर, महात्मा गांधीलेकर आए ऐसी आंधीकायाकल्प हुआ देश काजन-जन में चेतना जगा दी।
जन्में थे दोनों दो अक्टूबरये पुण्य आत्मा हमारे रहबरदेश-देश, कोने-कोने मेंसुख शांति की जोत जला दी।
कोई भी जाति कोई धर्म होराग-द्वेश नहीं, एक-सा मर्म होमिल-जुल कर रहना सिखलायाअखंडता की सुगंध फैला दी।
शास्त्री जी ...

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शास्त्रीजी - कमलाप्रसाद चौरसिया | कविता

पैदा हुआ उसी दिन,जिस दिन बापू ने था जन्म लियाभारत-पाक युद्ध में जिसनेतोड़ दिया दुनिया का भ्रम।
एक रहा है भारत सब दिन,सदा रहेगा एक।युगों-युगों से रहे हैं इसमेंभाषा-भाव अनेक।
आस्था और विश्वास अनेकोंहोते हैं मानव के।लेकिन मानवता मानव कीरही सदा ही नेक।कद से छोटा था लेकिन थाकर्म से बड़ा महान।हो सकता...

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गांधी जी के बारे में कुछ तथ्य

गांधी जी के बारे में कुछ तथ्य:

12 जनवरी 1918 को गांधी द्वारा लिखे एक पत्र में रबीन्द्रनाथ टैगोर को ‘‘गुरुदेव'' संबोधित किया गया था।


टैगोर ने 12 अप्रैल 1919 को लिखे अपने एक पत्र में पहली बार गांधी को ‘महात्मा' संबोधित किया था।


पहली बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने रेडियो...

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कभी कभी खुद से बात करो | कवि प्रदीप की कविता

कभी कभी खुद से बात करो, कभी खुद से बोलो । अपनी नज़र में तुम क्या हो? ये मन की तराजू पर तोलो । कभी कभी खुद से बात करो । कभी कभी खुद से बोलो ।

हरदम तुम बैठे ना रहो - शौहरत की इमारत में ।कभी कभी खुद को पेश करो आत्मा की अदालत में ।केवल अपनी कीर्ति न देखो- कमियों को भी टटोलो ।कभी कभी खुद से बात करो...

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वन्देमातरम्

'वन्‍देमातरम्' बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया; यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसका स्‍थान हमारे राष्ट्र गान, 'जन गण मन...' के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्‍ट्रीय काँग्रेस के सत्र में गाया गया था।
'वंदे मातर...

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वन्देमातरम् | राष्ट्रीय गीत

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,शस्यश्यामलाम्, मातरम्!वंदे मातरम्!शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥
- बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी)
 
सनद रहे:
'राष्ट्रीय गीत...

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गांधी जी का अंतिम दिन

गांधीजी के अंतिम दिन का कई लेखकों ने विवरण लिखा है। यहाँ हम सभी उपलब्ध विवरणों को संकलित करेंगे। इन विवरणों में प्यारेलाल, स्टीफन मर्फी, वी कल्याणम के विवरण सम्मिलित किए गए हैं।गांधीजी का अंतिम दिन - स्टीफन मर्फीबापू का अंतिम दिन - प्यारे लालमहात्मा गांधी के जीवन के अंतिम 48 घंटों की झलकियां -वी ...

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गांधीजी का अंतिम दिन - स्टीफन मर्फी

30 जनवरी 1948 का दिन गांधीजी के लिए हमेशा की तरह व्यस्तता से भरा था। प्रात: 3.30 को उठकर उन्होंने अपने साथियों मनु बेन, आभा बेन और बृजकृष्ण को उठाया। दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर 3.45 बजे प्रार्थना में लीन हुए। घने अंधकार और कँपकँपाने वाली ठंड के बीच उन्होंने कार्य शुरू किया। भारतीय राष्ट्रीय कां...

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स्वतंत्रता दिवस भाषण

स्वतंत्रता दिवस भाषणों का संकलन।
 

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भगत सिंह को पसंद थी ये ग़ज़ल

उन्हें ये फिक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है
गुनह-गारों में शामिल हैं गुनाहों से नहीं वाक़िफ़सज़ा को जानते हैं हम ख़ुदा जाने ख़ता क्या है
ये रंग-ए-बे-कसी रंग-ए-जुनूँ बन जाएगा ग़ाफ़िलसमझ ले यास-ओ-हिरमाँ के मरज़ की इंतिहा क्या है
नया बिस्मिल हूँ म...

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भगतसिंह पर लिखी कविताएं

इन पृष्ठों में भगतसिंह पर लिखी काव्य रचनाओं को संकलित करने का प्रयास किया जा रहा है। विश्वास है आपको सामग्री पठनीय लगेगी।
रंग दे बसंती चोला गीत का इतिहासभगत सिंह - गीत शहीद भगत सिंहमक़सद

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प्रेमचंद का अंतिम दिन

आठ अक्तूबर । सुबह हुई। जाडे की सुबह । सात-साढ़े सात का वक्त होगा ।
मुँह धुलाने के लिए शिवरानी गरम पानी लेकर आयी। मुंशीजी ने दाँत माँजने के लिए खरिया मिट्टी मुँह में ली, दो-एक बार मुँह चलाया और दाँत बैठ गये। कुल्ला करने के लिए इशारा किया पर मुँह नही फैल सका। पत्नी ने उनको जोर लगाते देखा, कुछ कहने...

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प्रधानमंत्री का दशहरा भाषण

लखनऊ के ऐशबाग रामलीला मैदान में दशहरा महोत्सव (11-10-2016) में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गया भाषण:

 
जय श्री राम, विशाल संख्या में पधारे प्यारे भाईयों और बहनों,
आप सबको विजयादशमी की अनेक-अनेक शुभकामनाएं। मुझे आज अति प्राचीन रामलीला, उस समारोह में सम्मिलित होने का सौभाग्‍य मिला है। हिन...

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आत्म-निर्भरता

एक बहुत भोला-भाला खरगोश था। उसके बहुत से जानवर मित्र थे।  उसे आशा थी कि वक्त पड़ने पर मेरे काम आएँगे।
एक दिन शिकारी कुत्ते उसके पीछे पड़ गए। वह दौड़ता हुआ गाय के पास पहुँचा और कहा-आप हमारी मित्र है, कृपा कर अपने पैने सींगों से इन कुत्तों को मार दीजिए। गाय ने उपेक्षा से कहा-मेरा घर जाने का सम...

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रहीम और कवि गंग

कहा जाता है कि रहीम दान देते समय ऑंखें उठाकर ऊपर नहीं देखते थे। याचक के रूप में आए लोगों को बिना देखे वे दान देते थे। अकबर के दरबारी कवियों में महाकवि गंग प्रमुख थे। रहीम के तो वे विशेष प्रिय कवि थे। एक बार कवि गंग ने रहीम की प्रशंसा में एक छंद लिखा, जिसमें उनका योद्धा-रूप वर्णित था। इसपर प्रसन्न...

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कुंभनदास और अकबर कथा

कुंभनदास जी गोस्वामी वल्लभाचार्य के शिष्य थे। इनकी गणना अष्टछाप में थी। एक बार इन्हें अकबर के आदेश पर फतेहपुर सीकरी हाजिर होना पड़ा।

अकबर ने इनका यथेष्ठ सम्मान किया, तो भी इन्होंने इसे समय नष्ट करना समझा। बादशाह ने जब इनका गायन सुनने की इच्छा जताई तो इन्होंने यह भजन गाया:
"संतन का सिकरी सन का...

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प्राचीन कथाएँ

इन पृष्ठों में पुरातन ग्रन्थों से प्राचीन कथाएँ संकलित की जा रहीं हैं ताकि हम एक पुरातन कथा संग्रह उपलब्ध करवा सकें।

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लोलुप शृंगाल

एक नदी के किनारे दो भेड़ लड़ रहे थे। क्रोध से दोनों भेड़ दूर हट-हट करके पुनः एकत्र होकर मस्तकों से एक-दूसरे पर प्रहार कर रहे थे। उन दोनों के मस्तक से रुधिर निकलने लगा। इसी बीच वहाँ एक शृंगाल आ पहुंचा और वहाँ बहती हुई रुधिर की धारा को देखकर लोभ में दोनों के बीच में घुसकर रुधिर पीने लगा। इसके बाद उ...

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माओरी कहावतें

एक माओरी कहावत है, ‘E tino mōhio ai te tāngata ki te tāngata me mōhio anō ki te reo me ngā tikanga taua tāngata.’ -- लोगों को अच्छी तरह से जानने के लिए, उनकी भाषा और रीति-रिवाजों को जानना आवश्यक है। तभी हमें लगा कि भारतीय दृष्टि से माओरी संसार को समझने का प्रयास करना चाहिए।
भारत की आ...

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देश के लाल - लाल बहादुर शास्त्री

बात उन दिनों की है जब लालबहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री थे व केरल में सूखा पड़ा हुआ था। चावल की खेती पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। लोग चावल के दाने को तरसने लगे थे। चूंकि केरलवासियों का मुख्य भोजन चावल ही है इसलिए राज्य सरकार चिंतित थी कि केरल निवासी अपनी दिनचर्या कैसे करेंगे!शास्त्री जी के...

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भारत-दर्शन संकलन | Collections का जीवन परिचय