नन्दा तीन दिन से भूखा था; पेट की ज्वाला से अधमरा!
देखा, सेठ रामलाल मीठे पूड़ों का थाल भरे, देवीकुण्ड पर बन्दर जिमाने जा रहे हैं। गिड़गिड़ाकर उसने कहा- "सेठजी, मैं तीन दिन से भूखा हूँ, जान निकली जा रही है। कुछ पूड़े मुझे भी दीजिए।"
"भूखा है, तो शहर में जाकर माँग, ये हनुमानजी के पूड़े तुझे कैसे द...
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