गोपालप्रसाद व्यास | Gopal Prasad Vyas साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 14

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आराम करो | हास्य कविता

एक मित्र मिले, बोले, "लाला, तुम किस चक्की का खाते हो?इस डेढ़ छटांक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो।क्या रक्खा माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम करो।संक्रान्ति-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो।"हम बोले, "रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो।इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम...

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नेता एकम नेता 

नेता एकम नेता हरदम उल्लू चेता 
नेता दूनी रैली सिकुड़ी हो या फैली 
नेता तीया थैली उजली हो या मैली 
नेता चौके कुर्सी बिन कुर्सी मातमपुर्सी 
नेता पंजे भाषण नित्य नए आश्वासन 
नेता छक्के छूट झूठ, फूट और लूट 
नेता सत्ते सत्ता सुरा, ...

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भई, भाषण दो ! भई, भाषण दो !!

यदि दर्द पेट में होता होया नन्हा-मुन्ना रोता होया आंखों की बीमारी होअथवा चढ़ रही तिजारी होतो नहीं डाक्टरों पर जाओवैद्यों से अरे न टकराओहै सब रोगों की एक दवा--भई, भाषण दो ! भई, भाषण दो !!
हर गली, सड़क, चौराहे परभाषण की गंगा बहती है,हर समझदार नर-नारी केकानों में कहती रहती है--मत पुण्य करो, मत पाप ...

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हाय, न बूढ़ा मुझे कहो तुम !

हाय, न बूढ़ा मुझे कहो तुम !शब्दकोश में प्रिये, और भीबहुत गालियाँ मिल जाएँगीजो चाहे सो कहो, मगर तुममरी उमर की डोर गहो तुम !हाय, न बूढ़ा मुझे कहो तुम !
क्या कहती हो-दांत झड़ रहे ?अच्छा है, वेदान्त आएगा।दाँत बनाने वालो का भीअरी भला कुछ हो जाएगा ।
बालों पर आ रही सफेदी,टोको मत, इसको आने दो।मेरे सिर ...

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सरकार कहते हैं

बुढ़ापे में जो हो जाए उसे हम प्यार कहते हैं,जवानी की मुहब्बत को फ़कत व्यापार कहते हैं।जो सस्ती है, मिले हर ओर, उसका नाम महंगाई,न महंगाई मिटा पाए, उसे सरकार कहते हैं।
जो पहुंचे बाद चिट्ठी के उसे हम तार कहते हैं,जो मारे डॉक्टर को हम उसे बीमार कहते हैं। जो धक्का खाके चलती है उसे हम कार मानेंगे,न धक...

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दिवाली के दिन | हास्य कविता

''तुम खील-बताशे ले आओ,हटरी, गुजरी, दीवट, दीपक।लक्ष्मी - गणेश लेते आना,झल्लीवाले के सर पर रख।
कुछ चटर-मटर, फुलझडी, पटाके,लल्लू को मँगवाने हैं।तुम उनको नहीं भूल जाना,जो खाँड-खिलौने आने हैं।
फिर आज मिठाई आयेगी,शीला के घर पहुंचानी है।नल चले जायेंगे जल्द उठो,मुझको तो भरना पानी है।''
''है झूठ चलेंगे...

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हिन्दी की होली तो हो ली

(इस लेख का मज़मून मैंने होली के ऊपर इसलिए चुना कि 'होली' हिन्दी का नहीं, अंग्रेजी का शब्द है। लेकिन खेद है कि हिंदुस्तानियों ने इसकी पवित्रता को नष्ट करके एकदम गलीज़ कर दिया है। हिन्दी की होली तो हो ली, अब तो समूचे भारत में अंग्रेजी की होली ही हरेक चौराहे पर लहक रही है।)
भारत यानी 'इंडिया' ने आज...

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सत्ता

सत्ता अंधी हैलाठी के सहारे चलती है।सत्ता बहरी हैसिर्फ धमाके सुनती है।सत्ता गूंगी हैसिर्फ माइक पर हाथ नचाती है।कागज छूती नहींआगे सरकाती है।सत्ता के पैर भारी हैंकुर्सी पर बैठे रहने की बीमारी है।पकड़कर बिठा दोमारुति में चढ़ जाती है।वैसे लंगड़ी हैबैसाखियों के बल चलती है।सत्ता अकड़ू हैमाला पहनती नहीं,...

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सीखा पशुओं से | व्यंग्य कविता

कुत्ते से सीखी चापलूसीमलाई चट करना बता गई पूसीबकरे से अहं ब्रह्मास्मि-मैं-मैंकहां तक जानवरों को धन्यवाद दें !बैलों से सीखा खटना,दुम्बे से चोट मारने के लिए पीछे हटना,भेड़िए से अपने लिएखुद कानून बनाना,भेंड़ों से आंख मूंदकरपीछे-पीछे आना,लोमड़ी ने सिखलाई चालाकीबताओ, अब और क्या रह गया बाकी ?
- गोपालप...

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कवि हूँ प्रयोगशील

गलत न समझो, मैं कवि हूँ प्रयोगशील,खादी में रेशम की गांठ जोड़ता हूं मैं।कल्पना कड़ी-से-कड़ी, उपमा सड़ी से सड़ी,मिल जाए पड़ी, उसे नहीं छोड़ता हूँ मैं।स्वर को सिकोड़ता, मरोड़ता हूँ मीटर कोबचना जी, रचना की गति मोड़ता हूं मैं।करने को क्रिया-कर्म कविता अभागिनी का,पेन तोड़ता हूं मैं, दवात फोड़ता हूँ मै...

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व्यंग्य कोई कांटा नहीं

व्यंग्य कोई कांटा नहीं-फूल के चुभो दूं ,कलम कोई नश्तर नहीं-खून में डूबो दूंदिल कोई कागज नहीं-लिखूं और फाडूंसाहित्य कोई घरौंदा नहीं-खेलूं और बिगाडूं !
मैं कब कहता हूं-साहित्य की भी कोई मर्यादा है !कौन वह कुंठित और जड़ हैजिसने इसे सीमाओं और रेखाओं में बांधा है ?साहित्य तो कीचड़ का कमल है,आंधियों म...

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नारदजी को व्यासजी का नमस्कार!

वंदनीय, भक्तप्रवर, देवर्षि एवं आदिपत्रकार नारदजी महाराज, मेरे हार्दिक प्रणाम स्वीकार करें !
लगभग 45 वर्षों से आप नियमित 'हिन्दुस्तान' के सुधी पाठकों के लिए नई, ताज़ा और मनभावन ख़बरें ढूंढ़-ढूंढ़कर लाते रहे और हमारे पाठकों को हर्षाते और सरसाते रहे।
मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि इस दीर्घकालीन ...

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खूनी हस्ताक्षर

वह खून कहो किस मतलब का,जिसमें उबाल का नाम नहीं ?वह खून कहो किस मतलब का,आ सके देश के काम नहीं ?
वह खून कहो किस मतलब का,जिसमें जीवन न रवानी है ?जो परवश होकर बहता है,वह खून नहीं है पानी है !!
उस दिन लोगों ने सही-सही,खूं की कीमत पहचानी थी।जिस दिन सुभाष ने बर्मा में,मांगी उनसे कुरबानी थी॥
बोले, "स्...

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नेताजी का तुलादान

देखा पूरब में आज सुबह,एक नई रोशनी फूटी थी।एक नई किरन, ले नया संदेशा,अग्निबान-सी छूटी थी॥
एक नई हवा ले नया राग,कुछ गुन-गुन करती आती थी।आज़ाद परिन्दों की टोली,एक नई दिशा में जाती थी॥
एक नई कली चटकी इस दिन,रौनक उपवन में आई थी।एक नया जोश, एक नई ताज़गी,हर चेहरे पर छाई थी॥
नेताजी का था जन्मदिवस,उल्ल...

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गोपालप्रसाद व्यास | Gopal Prasad Vyas का जीवन परिचय