उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 14

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उदयभानु हंस की ग़ज़लें

उदयभानु हंस का ग़ज़ल संकलन

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हमने अपने हाथों में

हमने अपने हाथों में जब धनुष सँभाला है,बाँध कर के सागर को रास्ता निकाला है।
हर दुखी की सेवा ही है मेरे लिए पूजा, झोपड़ी गरीबों की अब मेरा शिवाला है।
अब करें शिकायत क्या, दोष भी किसे दें हम?घर के ही चिरागों ने घर को फूँक डाला है।
कौन अब सुनाएगा दर्द हम को माटी का, 'प्रेमचंद' गूंगा है, लापता 'निर...

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हिन्दी रुबाइयां

मंझधार से बचने के सहारे नहीं होते,दुर्दिन में कभी चाँद सितारे नहीं होते।हम पार भी जायें तो भला जायें किधर से,इस प्रेम की सरिता के किनारे नहीं होते॥ 
2)
तुम घृणा, अविश्वास से मर जाओगे,विष पीने के अभ्यास से मर जाओगे। ओ बूंद को सागर से लड़ाने वालो,घुट-घुट के स्वयं प्यास से मर जाओगे॥
3)
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सीता का हरण होगा

कब तक यूं बहारों में पतझड़ का चलन होगा?कलियों की चिता होगी, फूलों का हवन होगा ।
हर धर्म की रामायण युग-युग से ये कहती है, सोने का हरिण लोगे, सीता का हरण होगा ।
जब प्यार किसी दिल का पूजा में बदल जाए,हर पल आरती होगी, हर शब्द भजन होगा ।
जीने की कला हम ने सीखी है शहीदों से,होठों पे ग़ज़ल होगी जब सि...

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सपने अगर नहीं होते | ग़ज़ल

मन में सपने अगर नहीं होते,हम कभी चाँद पर नहीं होते। सिर्फ जंगल में ढूँढ़ते क्यों हो? भेड़िए अब किधर नहीं होते। जिनके ऊँचे मकान होते हैं,दर-असल उनके घर नहीं होते।
प्यार का व्याकरण लिखें कैसे,भाव होते हैं स्वर नहीं होते।
कब की दुनिया मसान बन जाती, उसमें शायर अगर नहीं होते।
वक्त की धुन पे नाचन...

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सृजन पर दो हिन्दी रुबाइयां

अनुभूति से जो प्राणवान होती है, उतनी ही वो रचना महान होती है। कवि के ह्रदय का दर्द, नयन के आँसू,पीकर ही तो रचना जवान होती है॥#
सुगंध जिसमें न हो वो सुमन नहीं होता,सुरा का घूंट कभी आचमन नहीं होता।प्रसव की पीड़ा जरूरी है एक माँ के लिए,बिना तपस्या के लेखन 'सृजन' नहीं होता॥
-उदयभानु 'हंस'  राज...

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जी रहे हैं लोग कैसे | ग़ज़ल

जी रहे हैं लोग कैसे आज के वातावरण में,नींद में दु:स्वप्न आते, भय सताता जागरण में।
बेशरम जब आँख हो तो सिर्फ घूंघट क्या करेगा ?आदमी नंगा खड़ा है सभ्यता के आवरण में ।
घोर कलियुग है कि दोनों राम-रावण एक-से हैं,लक्ष्मणों का हाथ रहता आजकल सीता-हरण में ।
दंभ के माथे मुकुट है, साधना की माँग सूनी,कोयले...

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दीवाली : हिंदी रुबाइयां

सब ओर ही दीपों का बसेरा देखा,घनघोर अमावस में सवेरा देखा।जब डाली अकस्मात नज़र नीचे को,हर दीप तले मैंने अँधेरा देखा।।
तुम दीप का त्यौहार मनाया करते,तुम हर्ष से फूले न समाया करते।क्या उन्हें भी देखा है इसी अवसर पर,जो दीप नहीं, दिल हैं जलाया करते।।
हम घर को दीपों से सजा लेते हैं,इतना भी न अनुमान लग...

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स्वप्न सब राख की...

स्वप्न सब राख की ढेरियाँ हो गए, कुछ जले, कुछ बुझे, फिर धुआँ हो गए।  
पेट की भूख से आग ऐसी लगी,जल के आदर्श सब रोटियाँ हो गए।  
जब से चाणक्य महलों में रहने लगा, मूल्य जीवन के बस कुर्सियाँ हो गए। 
लोग जो मुंह दिखाने के काबिल न थे,आज अख़बार की सुर्...

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बैठे हों जब वो पास

बैठे हों जब वो पास, ख़ुदा ख़ैर करेफिर भी हो दिल उदास, ख़ुदा ख़ैर करे
मैं दुश्मनों से बच तो गया हूँ, लेकिनहैं दोस्त आस-पास, ख़ुदा ख़ैर करे
नारी का तन उघाड़ने की होड़ लगीयदि है यही विकास, ख़ुदा ख़ैर करे
अब देश की जड़ खोदनेवाले नेताखुद लिखेंगे इतिहास, ख़ुदा ख़ैर करे
मंदिर मठों में बैठ के भी संन्...

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संकल्प-गीत

हम तरंगों से उलझकर पार जाना चाहते हैं।कष्ट के बादल घिरें हम किंतु घबराते नहीं हैंक्या पतंगे दीपज्वाला से लिपट जाते नहीं हैं?फूल बनकर कंटकों में, मुस्कराते ही रहेंगे,दुख उठाए हैं, उठाएंगे, उठाते ही रहेंगे।
पर्वतों को चीर कर गंगा बहाना चाहते हैं,हम तरंगों से उलझकर पार जाना चाहते हैं।
क्या समझते ह...

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संकल्प-गीत

हम तरंगों से उलझकर पार जाना चाहते हैं।कष्ट के बादल घिरें हम किंतु घबराते नहीं हैंक्या पतंगे दीपज्वाला से लिपट जाते नहीं हैं?फूल बनकर कंटकों में, मुस्कराते ही रहेंगे,दुख उठाए हैं, उठाएंगे, उठाते ही रहेंगे।
पर्वतों को चीर कर गंगा बहाना चाहते हैं,हम तरंगों से उलझकर पार जाना चाहते हैं।
क्या समझते ह...

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भुला न सका | ग़ज़ल

मैं उनकी याद को दिल से कभी भुला न सका,
लगी वो आग जिसे आज तक बुझा न सका। 
 
हँसो-हँसो मेरी दीवानगी पे खूब हँसो,
कि खुद भी खोया गया और उन्हें भी पार न सका। 
 
वो जा रहे थे कहीं दूर जब जुदा होकर,
हज़ार चहा बुलाना मगर बुला न सका। 
 
लिहाज़-ए-शर्म ओ हया और खौफ़-ए-बद...

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उदयभानु ‘हंस' के हाइकु

युवक जागो!अपना देश छोड़यूँ मत भागो!
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नारी-जीवन --कभी मिले सिन्दूरकभी तन्दूर।
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सब हैरानक्रिकेट का खेल है सोने की खान!
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गुप्त व्यापारप्रकट हो जाए तोहै भ्रष्टाचार।
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तुम स्वतन्त्रफिल्मी गानों को सुनोंया वेदमन्त्र।
-डॉ. उदयभानु ‘हंस'

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उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans का जीवन परिचय