आनन्द विश्वास | Anand Vishvas साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 30

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गरमागरम थपेड़े लू के

गरमागरम थपेड़े लू के, पारा सौ के पार हुआ है,इतनी गरमी कभी न देखी, ऐसा पहली बार हुआ है।नींबू - पानी, ठंडा - बंडा,ठंडी बोतल डरी - डरी है।चारों ओर बबंडर उठते,आँधी चलती धूल भरी है।नहीं भाड़ में सीरा भैया, भट्ठी-सा संसार हुआ है,गरमागरम थपेड़े लू के, पारा सौ के पार हुआ है।आते - जाते आतंकी से,सब अपना मु...

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बच्चो, चलो चलाएं चरखा


बच्चो, चलो चलाएं चरखा,बापू जी ने इसको परखा।चरखा अगर चलेगा घर-घर,देश बढ़ेगा इसके दम पर।
इसको भाती नहीं गरीबी,ये बापू का बड़ा करीबी।चरखा चलता चक्की चलती,इससे रोटी-रोज़ी मिलती।
ये खादी का मूल-यंत्र है,आजादी का मूल-मंत्र है।इस चरखे में स्वाभिमान है,पूर्ण स्वदेशी का गुमान है।
इसे चलाकर खादी पाओ,व...

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आनन्द विश्वास के हाइकु

1.मन की बातसोचो, समझो औरमनन करो।
2.देश बढ़ेगाअपने दम परआगे ही आगे।
3.अपना घरतन-मन-धन सेस्वच्छ बनाएं।
4.पहरेदारहटे, तो काम बनेहम सब का।
5.पानी या खूनहर बूँद अमूल्यमत बहाओ।
6.गेंहूँ जौ चनाकैसे हो और घनाहमें सोचना।
7.हमने मानापानी नहीं बहानातुम भी मानो।
-आनन्द विश्वास
 

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आई हेट यू, पापा!

भास्कर के घर से कुछ ही दूरी पर स्थित है सन्त श्री शिवानन्द जी का आश्रम। दिव्य अलौकिक शक्ति का धाम। शान्त, सुन्दर और रमणीय स्थल। जहाँ ध्यान, योग और ज्ञान की अविरल गंगा बहती रहती है। दिन-रात यहाँ वेद-मंत्र और ऋचाओं का उद्घोष वातावरण को पावनता प्रदान करता रहता है और नदी का किनारा जिसकी शोभा को और भी...

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छूमन्तर मैं कहूँ...

छूमन्तर मैं कहूँ और फिर,जो चाहूँ बन जाऊँ।काश, कभी पाशा अंकल सा,जादू मैं कर पाऊँ।
हाथी को मैं कर दूँ गायब,चींटी उसे बनाऊँ।मछली में दो पंख लगाकर,नभ में उसे उड़ाऊँ।
और कभी खुद चिड़िया बनकर,फुदक-फुदक उड़ जाऊँ।रंग-बिरंगी तितली बनकर,फूली नहीं समाऊँ।
प्यारी कोयल बनकर कुहुकूँ,गीत मधुर मैं गाऊँ।बन जाऊँ...

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बेटी-युग

सतयुग, त्रेता, द्वापर बीता, बीता कलयुग कब का,बेटी-युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका।बेटी-युग में खुशी-खुशी है,पर मेहनत के साथ बसी है।शुद्ध-कर्म निष्ठा का संगम,सबके मन में दिव्य हँसी है।नई सोच है, नई चेतना, बदला जीवन सबका,बेटी-युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका।इस युग में ना परदा बुरका,ना तलाक, न...

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मामू की शादी में

मामू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।नाचे-कूदे,गाने गाए, जमकर मौज़ मनाई।आगे-आगे बैण्ड बजे थे,पीछे बाजे ताशे।घोड़ी पर मामू बैठे थे,हम थे उनके आगे।तरह-तरह की फिल्मी धुन थीं और बजी शहनाई।मामू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई।नाना नाचे, नानी नाचीं,नाचीं चाची ताई।दादा-दादी ने फिर जमकर,डिस्को डांस दिखाई...

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जब सुनोगे गीत मेरे...

दर्द की उपमा बना मैं जा रहा हूँ,पीर की प्रतिमा बना मैं जा रहा हूँ।दर्द दर-दर का पिये मैं, कब तलक घुलता रहूँ।अग्नि अंतस् में छुपाये, कब तलक जलता रहूँ।वेदना का नीर पीकर, अश्रु आँखों से बहा।हिम-शिखर की रीति-सा मैं, कब तलक गलता रहूँ।तुम समझते पल रहा हूँ, मैं मगर,दर्द का पलना बना मैं जा रहा हूँ।
पावस...

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मेरे देश की माटी सोना | गीत

मेरे देश की माटी सोना, सोने का कोई काम ना,जागो भैया भारतवासी, मेरी है ये कामना।दिन तो दिन है रातों को भी थोड़ा-थोड़ा जागना,माता के आँचल पर भैया, आने पावे आँच ना।
अमर धरा के वीर सपूतो, भारत माँ की शान तुम,माता के नयनों के तारे सपनों के अरमान तुम।तुम हो वीर शिवा के वंशज आजादी के गान हो,पौरुष की हो...

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रो उठोगे मीत मेरे

दर्द की उपमा बना मैं जा रहा हूँ,पीर की प्रतिमा बना मैं जा रहा हूँ।
दर्द दर-दर का पिये मैं,कब तलक घुलता रहूँ।अग्नि अंतस् में छुपाये, कब तलक जलता रहूँ।वेदना का नीर पीकर, अश्रु आँखों से बहा।हिम-शिखर की रीति-सा,मैं कब तलक गलता रहूँ।तुम समझते पल रहा हूँ, मैं मगर,दर्द का पलना बना मैं जा रहा हूँ।
पावस...

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एक आने के दो समोसे | कहानी

बात उन दिनों की है जब एक आने के दो समोसे आते थे और एक रुपये का सोलह सेर गुड़। अठन्नी-चवन्नी का जमाना था तब। प्राइमरी स्कूल के बच्चे पेन-पेन्सिल से कागज पर नही, बल्कि नैज़े या सरकण्डे की बनी कलम से खड़िया की सफेद स्याही से, लकड़ी के तख्ते की बनी हुई पट्टी पर लिखा करते थे।
वो भी क्या दिन थे जब पट्...

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सजनवा के गाँव चले

सूरज उगे या शाम ढले,मेरे पाँव सजनवा के गाँव चले।
सपनों की रंगीन दुनियाँ लिये,प्यासे उर में वसन्ती तमन्ना लिये।मेरे हँसते अधर, मेरे बढ़ते कदम,अश्रुओं की सजीली सी लड़ियाँ लिये।
कोई हँसे या कोई जले,मेरे पाँव सजनवा के गाँव चले।
आज पहला मिलन है अनोंखा मिलन,धीर धूलि हुआ, जाने कैसी लगन।रात होने लगी, ...

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चिड़िया फुर्र

अभी दो चार दिनों से देवम के घर के बरामदे में चिड़ियों की आवाजाही कुछ ज्यादा ही हो गई थी। चिड़ियाँ तिनके ले कर आती, उन्हें ऊपर रखतीं और फिर चली जातीं दुबारा, तिनके लेने के लिये।
लगातार ऐसा ही होता, कुछ तिनके नीचे गिर जाते तो फर्श गंदा हो जाता। पर इससे चिड़ियों को क्या ? उनका तो निर्माण का कार्य च...

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पीछे मुड़ कर कभी न देखो

पीछे मुड़ कर कभी न देखो, आगे ही तुम बढ़ते जाना,उज्ज्वल ‘कल’ है तुम्हें बनाना, वर्तमान ना व्यर्थ गँवाना।संधर्ष आज तुमको करना है,मेहनत में तुमको खपना है।दिन और रात तुम्हारे अपने,कठिन परिश्रम में तपना है।फौलादी आशाऐं लेकर, तुम लक्ष्य प्राप्ति करते जाना,पीछे मुड़ कर कभी न देखो, आगे ही तुम...

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मैंने जाने गीत बिरह के

मैंने जाने गीत बिरह के, मधुमासों की आस नहीं है,कदम-कदम पर मिली विवशता, साँसों में विश्वास नहीं है।छल से छला गया है जीवन,आजीवन का था समझौता।लहरों ने पतवार छीन ली,नैया जाती खाती गोता।किस सागर जा करूँ याचना, अब अधरों पर प्यास नहीं है,मैंने जाने गीत बिरह के, मधुमासों की आस नहीं है।
मेरे सीमित वातायन...

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नानी वाली कथा-कहानी

नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुई पुरानी।बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी।बेटी-युग में बेटा-बेटी,सभी पढ़ेंगे, सभी बढ़ेंगे।फौलादी ले नेक इरादे,खुद अपना इतिहास गढ़ेंगे।देश पढ़ेगा, देश बढ़ेगा, दौड़ेगी अब, तरुण जवानी।नानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुईं पुरानी।बेटा शिक्षित, आधी शिक्षा...

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सूरज दादा कहाँ गए तुम

सूरज दादा कहाँ गए तुम, काहे ईद का चाँद भए तुम।
घना अँधेरा, काला - काला, दिन निकला पर नहीं उजाला।
कोहरे ने कोहराम मचाया, पारा गिर कर नीचे आया।
काले बादल जिया डराते, हॉरर-शो सा दृश्य दिखाते।
बर्षा रानी आँख दिखाती, झम झम झम पानी बरसाती।
काले - काले बादल आते, उमड़-घुमड़ कर शोर मचाते।
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बगीचा

मेरे घर में बना बगीचा,हरी घास ज्यों बिछा गलीचा।
गेंदा, चम्पा और चमेली,लगे मालती कितनी प्यारी।मनीप्लान्ट आसोपालव से,सुन्दर लगती मेरी क्यारी।
छुई-मुई की अदा अलग है,छूते ही नखरे दिखलाती।रजनीगंधा की बेल निराली,जहाँ जगह मिलती चढ़ जाती।
तुलसी का गमला है न्यारा,सब रोगों को दूर भगाता।मम्मी हर दिन अर्ध...

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चलो, करें जंगल में मंगल

चलो, करें जंगल में मंगल,संग प्रकृति के जी लें दो पल।बतियाएं कुछ अपने मन की,और सुनें उनके जीवन की।
मन से मन की बात बताएं,और प्रकृति में घुल मिल जाएं।देखो झरने, क्या कुछ कहते,कल-कल करते बहते रहते।
हँसकर फूल बुलाते हमको,हँसते रहो सिखाते हमको।शान्त झील का दृश्य विहंगम्,जलचर क्रीड़ा मधुरम् मधुरम्।
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जलाओ दीप जी भर कर

जलाओ दीप जी भर कर,दिवाली आज आई है।नया उत्साह लाई है,नया विश्वास लाई है।
इसी दिन राम आये थे,अयोध्या मुस्कुराई थी।हुआ था राम का स्वागत,खुशी चहुँ ओर छाई थी।
मना था जश्न घर-घर में,उदासी खिलखिलाई थी।अँधेरा चौदह बर्षों का,उजाला ले के आई थी।
इसी दिन श्याम सुन्दर ने,गोवर्धन को उठाया था।अहम् इन्दर का त...

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आया मधुऋतु का त्योहार

खेत-खेत में सरसों झूमे, सर-सर बहे बयार,मस्त पवन के संग-संग आया मधुऋतु का त्योहार।
धानी रंग से रंगी धरा,परिधान वसन्ती ओढ़े।हर्षित मन ले लजवन्ती,मुस्कान वसन्ती छोड़े।चारों ओर वसन्ती आभा, हर्षित हिया हमार,मस्त पवन के संग-संग आया मधुऋतु का त्योहार।
सूने-सूने पतझड़ को भी,आज वसन्ती प्यार मिला।प्यासे-...

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मंकी और डंकी

डंकी के ऊपर चढ़ बैठा,जम्प लगाकर मंकी, लाल।ढेंचूँ - ढेंचूँ करता डंकी,उसका हाल हुआ बेहाल।
पूँछ पकड़ता कभी खींचता,कभी पकड़कर खींचे कान।कैसी अज़ब मुसीबत आई,डंकी हुआ बहुत हैरान।
बड़े जोर से डंकी बोला,ढेंचूँ - ढेंचूँ , ढेंचूँ - ढेंचूँ।खों - खों करके मंकी पूछे,किसको खेंचूँ, कितना खेंचूँ।
डंकी जी ने स...

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अगर सीखना कुछ चाहो तो...

अगर सीखना कुछ चाहो तो,हर चीज तुम्हें शिक्षा देगी।शर्त यही है कुछ पाने की,जब मन में इच्छा होगी।
नदियाँ कहतीं अविरल गति से,पल-पल तुम बहते जाओ।आहत होकर चट्टानों से,गीत मधुर गाते जाओ।
रुकना नहीं सदा बहना है,जब तक मंजिल ना पाओ।सागर से मिलने को आतुर,प्रति पल आगे बढ़ते जाओ।
संघर्षों में जमकर जी लो,मे...

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कुछ हाइकु

मन की बातसोचो, समझो औरमनन करो।
अपना घरतन-मन-धन सेस्वच्छ बनाएं।
पानी या खूनहर बूँद अमूल्यमत बहाओ।
गेंहूँ, जौ, चनाकैसे हो और घनाहमें सोचना।
-आनन्द विश्वास

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फूल नहीं तोड़ेंगे हम

14 नवम्बर, बाल-दिवस, बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू जी का जन्म-दिवस, देवम के स्कूल में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। सभी छात्र बड़े उत्साह और उमंग के साथ इस दिवस को मनाते हैं।
स्कूल में इस दिन बच्चों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। शिक्षक-गण एवं विद्यार्थियों ...

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आनन्द विश्वास | Anand Vishvas का जीवन परिचय