आए प्रचंड रिपु, शब्द सुना उन्हीं का,भेजी सभी जगह एक झुकी कमान। ज्यों युद्ध चिह्न समझे सब लोग धाये,त्यों साथ थी कह रही यह व्योम वाणी॥"सुना नहीं क्या रणशंखनाद ?चलो पके खेत किसान! छोड़ो।पक्षी उन्हें खांय, तुम्हें पड़ा क्या?भाले भिड़ाओ, अब खड्ग खोलो। हवा इन्हें साफ़ किया करैगी,-लो शस्त्र, हो लाल न दे...
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