बलराम अग्रवाल साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 3

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ज़हर की जड़ें

दफ़्तर से लौटकर मैं अभी खाना खाने के लिए बैठा ही था कि डॉली ने रोना शुरू कर दिया।
"अरे-अरे-अरे, किसने मारा हमारी बेटी को?" उसे दुलारते हुए मैंने पूछा।
"डैडी, हमें स्कूटर चाहिए।" सुबकते हुए ही वह बोली।
"लेकिन तुम्हारे पास तो पहले ही बहुत खिलौने है!"
इस पर उसकी हिचकियाँ बँध गईं। बोली,"मेरी गुड़...

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अपने-अपने आग्रह 

"तुझे मेरा नाम मालूम नहीं है क्या?" वह उस पर चीखा। 
"है न-रामरक्खा!" 
"रामरक्खा नहीं, अल्लारक्खा।" 
"एक ही बात है।" 
"एक ही बात है तो अल्लारक्खा क्यों नहीं बोलता है?" 
"मैं तो वही बोलता हूँ। तुझे पता नहीं, कुछ और क्यों सुनाई देता है!"
-बलराम अग्रवाल  ई-मेल...

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दो और दो

"यार, ये दो और दो चार वाला मुहावरा अव्यवहारिक नहीं है?" 
"भाई, ये मुहावरा नहीं है... सूत्र है गणित का।" 
"सूत्र ही सही, लेकिन इस्तेमाल तो मुहावरे की तरह ही होता है।" 
"सो तो है।" 
"मेरी नज़र से देखो तो एक और एक, दो भी गलत है।"
"तेरी नज़र में ठीक क्या है?"
"बात नज़र की नहीं,...

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बलराम अग्रवाल का जीवन परिचय