[फीजी से फीजी हिंदी में लघुकथा]
दुकान में सबरे से औरतन के लाइन लगा रहा। कोई बरौनी बनवाए, कोई फेसिअल कराए, कोई बार कटवाए, कोई कला कराए, तो कोई नेल-पेंट लगवाए के लिए अगोरत रहिन। दुकान के पल्ला भी खुले नई पाइस रहा कि द्वारी पे तीन औरत खड़ी अगोरत रहिन। वैसे सुक और सनिच्चर बीज़ी रोज रहे लेकिन ई रकम ब...
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