सुभाषिनी लता कुमार | फीजी साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 7

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फंदा

[फीजी से फीजी हिंदी में लघुकथा]
दुकान में सबरे से औरतन के लाइन लगा रहा। कोई बरौनी बनवाए, कोई फेसिअल कराए, कोई बार कटवाए, कोई कला कराए, तो कोई नेल-पेंट लगवाए के लिए अगोरत रहिन। दुकान के पल्ला भी खुले नई पाइस रहा कि द्वारी पे तीन औरत खड़ी अगोरत रहिन। वैसे सुक और सनिच्चर बीज़ी रोज रहे लेकिन ई रकम ब...

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फीजी कितना प्यारा है

प्रशांत महासागर से घिराचमचमाती सफ़ेद रेतों से भरा फीजी द्वीप हमारा देखो, कितना प्यारा है! सर्वत्र छाई हरयाली ही हरयालीफल-फूलों से भरी डाली-डाली फसलों से लहराते गन्ने के खेतों मेंगुणगुनाती मैना प्यारी है लोग यहाँ के कितने प्यारे कभी ‘बुला', कभी ‘राम-राम'कह स्वागत करतेहिल-मिलकर एक दूजे ...

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आरजू

इंतजार की आरजू अब नहीं रहीखामोशियों की आदत हो गई है,न कोई शिकवा है न शिकायतअजनबियों सी हालत हो गई है।
चुभती रहती चाँदनीबड़ी कठिन ये रात हो गई है,एक तेज हूक उठती है मन में मेरेखुशी भी इतेफाक हो गई है।
अब है तो सिर्फ तन्हाईजो एकांत भरी भीड़ दे गई है,न जाने हैं ये अश्क कैसे बावरेजो बिन बादल बरसात दे...

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‘फीजी हिंदी’ साहित्य एवं साहित्यकार: एक परिदृश्य

‘फीजी हिंदी’ फीजी में बसे भारतीयों द्वारा विकसित हिंदी की नई भाषिक शैली है जो अवधी, भोजपुरी, फीजियन, अंग्रेजी आदि भाषाओं के मिश्रण से बनी है। फीजी के प्रवासी भारतीय मानक हिंदी की तुलना में, फीजी हिंदी भाषा में अपनी भाव-व्यंजनाओं को अच्छी तरह से अभिव्यक्त कर पाते हैं। इसीलिए भारतवंशी स...

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फीजी के प्रवासी भारतीय साहित्यकार प्रो. बृज लाल की दृष्टि

अकादमिक स्वर्गीय प्रो. बृज लाल का नाम फीजी तथा दक्षिण प्रशान्त महासागर के प्रतिष्ठित साहित्यकारों की अग्रीम श्रेणी में लिया जाता है। उनके पूर्वज गिरमिटिया मजदूर के रूप में सन् 1908 में भारत से लगभग 12000 हजार किलोमीटर दूर फीजी द्वीप आकर बस गए। प्रो. बृजलाल के उत्थान की कहानी फीजी के एक साधारण गाँ...

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गिरमिटियों को श्रद्धांजलि (भाग 2)‘ का लोकार्पण

नरेश चंद की ऑडियो सीडी ‘गिरमिट गाथा- गिरमिटियों को श्रद्धांजलि (भाग 2)‘ का लोकार्पण

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श्रीमती सुक्लेश बली से डॉ. सुभाषिनी कुमार की बातचीत

फीजी में हिंदी शिक्षण का अलख जगाती हिंदी सेवी श्रीमती सुकलेश बली से साक्षात्कार
“हिन्दी से घबराइए नहीं। आप जैसे हिंदी फिल्में देखते हैं, गाने गुनगुनाते हैं वैसे हिन्दी भाषा को अपने दिलों में उतार कर देखिए”- श्रीमती सुकलेश बली
गुरूमाता पं. सुकलेश बली का जन्म 1 अगस्त, 1947 को जालंधर प...

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सुभाषिनी लता कुमार | फीजी का जीवन परिचय