सुनो, तुम्हें ललकार रहा हूँ, सुनो घृणा का गान!
तुम, जो भाई को अछूत कह वस्त्र बचा कर भागे,तुम, जो बहिनें छोड़ बिलखती बढ़े जा रहे आगे!रुक कर उत्तर दो, मेरा है अप्रतिहत आह्वान--सुनो, तुम्हें ललकार रहा हूँ, सुनो घृणा का गान!
तुम, जो बड़े-बड़े गद्दों पर ऊँची दूकानों में,उन्हें कोसते हो जो भूखे मरते ...
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