बाबुल अब ना होएगी, बहन भाई में जंगडोर तोड़ अनजान पथ, उड़कर चली पतंग
बाबुल हमसे हो गई, आख़िर कैसी भूलक्रेता की हर शर्त जो, तूने करी कबूल
धरती या कि किसान से, हुई किसी से चूकफ़सल के बदले खेत में, लहके है बंदूक
अद्भुत है, अनमोल है, महानगर की भोररोज़ जगाए है हमें, कान फोड़ता शोर
रोटी-रोज़ी में हुई,...
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