ज्ञानप्रकाश विवेक | Gyanprakash Vivek साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 7

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तमाम घर को .... | ग़ज़ल

तमाम घर को बयाबाँ बना के रखता थापता नहीं वो दीए क्यूँ बुझा के रखता था
बुरे दिनों के लिए तुमने गुल्लक्कें भर लीं,मै दोस्तों की दुआएँ बचा के रखता था
वो तितलियों को सिखाता था व्याकरण यारों-इसी बहाने गुलों को डरा के रखता था
न जाने कौन चला आए वक़्त का मारा,कि मैं किवाड़ से सांकल हटा के रखता था
हमे...

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किसी के दुख में .... | ग़ज़ल

किसी के दुख में रो उट्ठूं कुछ ऐसी तर्जुमानी देमुझे सपने न दे बेशक, मेरी आंखों को पानी दे
मुझे तो चिलचिलाती धूप में चलने की आदत हैमेरे भगवान, मेरे शहर को शामें सुहानी दे
ये रद्दी बीनते बच्चे जो गुम कर आए हैं सपनेकिसी दिन के लिए तू इनको परियों की कहानी दे
ख़ुदाया, जी रहा हूं यूं तो मैं तेरे ज़मा...

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तुम मेरी बेघरी पे...

तुम मेरी बेघरी पे बड़ा काम कर गएकागज का शामियाना हथेली पर धर गए
बोगी में रह गया हूं अकेला मैं दोस्तो!एक एक करके सारे मुसाफिर उतर गए
गरमी में खोलते थे जो पानी की गुमटियांतिश्नालबो! वो लोग न जाने किधर गए
यारो, सियासी शहर की इतनी-सी बात हैनकली मुकुट लगा के सभी बन-संवर गए
अक्वेरियम में डाल दीं जब...

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वो कभी दर्द का...

वो कभी दर्द का चर्चा नहीं होने देताअपने जख्मों का वो जलसा नहीं होने देता
मेरे आंगन में गिरा देता है पत्ते अक्सरपेड़ मुझको कभी तन्हा नहीं होने देता
इतना पेचीदा है ये वक्त हमारा यारो!किसी बच्चे को भी बच्चा नहीं रहने देता
नुक्ताचीं कोई चला आए अगर महफिल मेंफिर वो माहौल को अच्छा नहीं होने देता
मेर...

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मेरी औक़ात का...

मेरी औक़ात का ऐ दोस्त शगूफ़ा न बना कृष्ण बनता है तो बन, मुझको सुदामा न बना
ये हवाएँ कभी पत्थर भी उठा लेती हैं अपना शीशे का मकाँ इतना भी अच्छा न बना
देख ! टूटे हुए तारे से मुहब्बत मत कर और गिरती हुई दीवार को अपना न बना
कोई पक्षी मेरे आँगन में न उतरे दिनभर मेरे भगवान ! मुझे इतना अकेला न बना
अपन...

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जिस तिनके को ...

जिस तिनके को लोगों ने बेकार कहा था चिड़िया ने उसको अपना संसार कहा था
बाँट गया था अपने हिस्से की जो रोटी भूखे लोगों ने उसको अवतार कहा था
मिटने की हद तक जलते थे दीप हमारे इसीलिए हमने उनको खुद्दार कहा था
बहुत बड़ी थी तेरी धन-दौलत की दुनिया हमने उसको चाँदी की दीवार कहा था
दोस्त अचानक जिस दिन मेरे...

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ज्ञानप्रकाश विवेक की ग़ज़लें

प्रस्तुत हैं ज्ञानप्रकाश विवेक की ग़ज़लें !

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ज्ञानप्रकाश विवेक | Gyanprakash Vivek का जीवन परिचय