त्रिलोचन साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 11

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फिर तेरी याद

फिर तेरी याद जो कहीं आई नींद आने को थी नहीं आई
मैंने देखा विपत्ति का अनुराग मैं जहाँ था चली वहीं आई
भूमि ने क्या कभी बुलाया था मृत्यु क्यों स्वर्ग से यहीं आई
व्रत लिया कष्ट सहे वे भी थे, सिद्धि उनके यहाँ नहीं आई
साधना के बिना ‘त्रिलोचन' कबसिद्धि ही रीझ कर कहीं आई
-त्रिलोचन
 

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यह दिल क्या है देखा दिखाया हुआ है

यह दिल क्या है देखा दिखाया हुआ है मगर दर्द कितना समाया हुआ है
मेरा दुख सुना चुप रहे फिर वो बोले कि यह राग पहले का गाया हुआ है
झलक भर दिखा जाएँ बस उनसे कह दो कोई एक दर्शन को आया हुआ है
न पूछो यहाँ ताप की क्या कमी है सभी का हृदय उसमें ताया हुआ है
यही दर्द था जिसने तुमसे मिलाया ये यों ही नहीं जी...

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तुलसी बाबा

तुलसी बाबा, भाषा मैंने तुमसे सीखी       मेरी सजग चेतना में तुम रमे हुए हो ।कह सकते थे तुम सब कड़वी, मीठी, तीखी ।
प्रखर काल की धारा पर तुम जमे हुए हो ।और वृक्ष गिर गए, मगर तुम थमे हुए हो ।कभी राम से अपना कुछ भी नहीं दुराया,देखा, तुम उन के चरणों पर नमे हुए हो ।विश्व ब...

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चंपा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती

चम्पा काले काले अच्छर नहीं चीन्हतीमैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती हैखड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती हैउसे बड़ा अचरज होता है:इन काले चिन्हों से कैसे ये सब स्वरनिकला करते हैं|
चम्पा सुन्दर की लड़की हैसुन्दर ग्वाला है : गाय भैसे रखता हैचम्पा चौपायों को लेकरचरवाही करने जाती है
चम्पा अच्छी हैचंचल हैन ट ख...

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भटकता हूँ दर-दर | ग़ज़ल

भटकता हूँ दर-दर कहाँ अपना घर हैइधर भी, सुना है कि उनकी नज़र है
उन्होंने मुझे देख के सुख जो पूछा तो मैंने कहा कौन जाने किधर है
तुम्हारी कुशल कल जो पूछी उन्होंने तो मैं रो दिया कह के आत्मा अमर है
क्यों बेकार ही ख़ाक दुनिया की छानी जहाँ शांति भी चाहिए तो समर है
जो दुनिया से ऊबा तो अपने से ऊबा ये...

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यह चिंता है | ग़ज़ल

यह चिंता है वह चिंता है जी को चैन कहाँ मिलता है
फूल आनंद का बहुत खोजा, कब आता है, कब खिलता है
कहा किसी ने नहीं, "सुखी हूँ" देखा सबको व्याकुलता है
जीवन पथ पर जिन को देखा उन सब से मन की ममता है
कैसे कहा था तूने त्रिलोचन इष्ट आप ही आ मिलता है
-त्रिलोचन

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बिस्तरा है न चारपाई है

बिस्तरा है न चारपाई है जिंदगी ख़ूब हम ने पाई है
कल अंधेरे में जिस ने सर काटा, नाम मत लो हमारा भाई है
गुल की ख़ातिर करे भी क्या कोई, उस की तक़दीर में बुराई है
जो बुराई है अपने माथे है, उन के हाथों महज़ भलाई है
अब तो जैसी भी आए सहना है, दिल से आवाज़ ऐसी आई हैं
ठोकरें दर-ब-दर की थीं, हम थे कम ...

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दुख में भी परिचित मुखों को

दुख में भी परिचित मुखों को तुम ने पहचाना है क्या अपना ही सा उन का मन है यह कभी माना है क्या
जिन की हम ने याद की जिन के लिए बैठे रहेवे हमें भूलें तो भूलें इस में पछताना है क्या
हाथ ही हिलता न हो जब पाँव ही उठता न हो इन की उन की बात से आना है क्या जाना है क्या
आजकल क्या कुछ इधर मेरे हृदय को हो ग...

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चतुष्पदियाँ 

स्वर के सागर की बस लहर ली है और अनुभूति को वाणी दी है मुझ से तू गीत माँगता है क्यों मैं ने दुकान क्या कोई की है 
स्वर सभी तान पर नहीं मिलते हृदय अभिमान पर नहीं मिलते पास पैसा है ओर धुन भी है गीत दूकान पर नहीं मिलते 
मंत्र मैं ने लिया है तो अपना हृदय ...

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चुप क्यों न रहूँ | ग़ज़ल

चुप क्यों न रहूँ हाल सुनाऊँ कहाँ कहाँ जा जा के चोट अपनी दिखाऊँ कहाँ कहाँ
जो देखा है अच्छा हो उसे दिल भी न जानेइस जी की बात जा के चलाऊँ कहाँ कहाँ
रोने में, क्या धरा है भूतकाल था भला किस किस गली में उस को बुलाऊँ कहाँ कहाँ
तुम कहते हो तो ठीक, मुझे जीना ही होगा यह भी जरा समझा दो कि जाऊँ कहाँ कहाँ
...

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मेरा दिल वह दिल है | ग़ज़ल

मेरा दिल वह दिल है कि हारा नहीं है कहीं तिनके का भी सहारा नहीं है
जो मोजों को देखा तो जी हो न मानायह मालूम था यह किनारा नहीं है
जिसे देख के लोग पलकें बिछा देंकहेगा उसे कौन प्यारा नहीं है
करें हम वही, आप जो चाहते हैंमगर किस तरह, कोई चारा नही है
कहाँ प्रेम सब को दिखाई दिया हैनदी फल्गु है जिस मे...

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त्रिलोचन का जीवन परिचय