तुलसी बाबा, भाषा मैंने तुमसे सीखी मेरी सजग चेतना में तुम रमे हुए हो ।कह सकते थे तुम सब कड़वी, मीठी, तीखी ।
प्रखर काल की धारा पर तुम जमे हुए हो ।और वृक्ष गिर गए, मगर तुम थमे हुए हो ।कभी राम से अपना कुछ भी नहीं दुराया,देखा, तुम उन के चरणों पर नमे हुए हो ।विश्व ब...
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