डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड | न्यूज़ीलैंड साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 10

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कुछ अनुभूतियाँ

दूर दूर तक फैला मिला आकाशचारों ओर ऊँची पहाड़ियाँ शांत नीरव वातावरण दूर-दूर तक कोई कोलाहल न था।शांति केवल शांति।
काश ! ऐसी शांति मेरे जीवन में भी आ पाती।जीवन में चारों ओर से बढ़ता हुआ कोलाहल ऐसा लगता था मन काभावनाओं को जीवनेच्छा के सागर को तीव्र वेग से एकाएकएक पल में ही विकीर्ण कर देगा।
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दिन...

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आखिर मैं हूँ कौन?

एक मानव...नहीं।मुझे तो धीरे-धीरेमानवता के सभी मूल्यभूलते जा रहे हैं।
एक पुरूष...बिल्कुल नहीं।अपना पुरूषत्व दिखाने की होड़ मेंमहिलाओं को अपनी हवस बनानेकी मेरी आदतमुझ पर हावी होती जा रही है।
एक नेता...वो भी नहीं।मुझे तो अपनी पार्टीको संभालने से ही फुर्सत नहीं,अपने अस्तित्व के बारे ...

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ज़िम्मेदारी

सामाजिक असंगति और सामाजिक परम्परा इनमें कोई सम्बन्ध है?
सामाजिक परम्पराजिसे हम जीवित रखने का भरसक प्रयास कर रहे हैंपाश्चात्य परम्पराओं के लालच से बचते हुए और भावी पीढ़ियों को बचाते हुए।
सामाजिक असंगति का प्रमुख कारण है सामाजिक परम्पराओं के बारे में जानकारी का अभाव औरएक-दूसरे के प्रति अविश्वास।
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आज ना जाने क्यों

आज ना जाने क्यों फिर से याद आ गया नानी का वह प्यार और दुलार।
भीतर के कोठारे मेंना जाने कब से छुपा कर रखी मिठाईहमारे स्वागत के लिये।
धोती के पल्ले में बंधे कुछ सिक्के।
आँखों में भारी असीम ममता एक बार फिर मिल लेने की चाह।
अनगिनत दुआओँ से भरा उनका वह झुर्रियों भरा हाथ।
अगली गर्मियों की छुट्टियो...

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ज़िंदगी तुझे सलाम

सोचा था अभी तो बहुत कुछ करना बाक़ी हैअभी तो घर भी नहीं बसायाना ही अभी किसी को अपना बनाया।
अभी तो किसी को यह भी नहीं बताया कि हमें भी किसी की तलाश है ना ही अभी दूसरों को अपनाने की कला सीखी।
अभी तो अपने किए पर पछतावा करना आया नहींना ही अभी अपनी ग़लतियों को सुधारने की अदा सीखी।
अब तक तो सिर्फ़ हम...

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सफाई

पूछा हमसे किसी नेतुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है?हमने भी इस प्रश्न पर कुछ गहराई से विचार किया।नतीजा यही निकला किजब सफाई देने की ही नौबत आ गई तोफिर कहने या ना कहने से भी क्या फर्क पड़ता है?
--डा॰ पुष्पा भारद्वाज-वुड
 

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क्षणिकाएँ

कहा-सुनी
तुमने कहा, हमने सुना। हमने कहा, तुमने सुना। बस बात वहीं ख़त्म हो गई।
-डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड  न्यूज़ीलैंड
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सफ़ाई
तुमने कहा, अपनी सफ़ाई में कुछ कहना है?हमने सुना, उस पर विचार किया।फिर जवाब दिया-- जब सफ़ाई देने की ही नौबत आ गई तो फिर,कहने को रह...

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क्षणिका

ना तुमने कुछ कहा, ना हमने कुछ कहा।बस यूँ ही बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुनेअपनी अपनी खामोशी मेंसभी कुछ तो कह गए हम दोनों।
-डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड  न्यूज़ीलैंड
 

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बापू

विश्व को हिंसा सेमुक्त कराने का बीड़ा उठाया था तुमने।विश्व तो क्यायहां तो घर में भी शांति निवास के लाले पड़ गए हैं।अब तो घरेलू हिंसा दिन ब दिन बढ़ने लगी है।
तुमने कहा थाअपनी इन्द्रियों को वश में करना सीखो।तुमने स्वयं ऐसा करकेएक उदाहरण भी पेश किया।
गलतियां तो सभी से होती हैंतुमसे भी हुई थी। फ़र्...

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मुस्कान

उन्होंने कहा-- तुम्हारी मुस्कान मेंएक जादू है।बहुत ही प्यारी और निश्छल है।
हमने कहा नहीं--तुम क्या जानोइसके पीछे का दर्द! 
वे बोले--तुम्हारी आँखों की गहराई मन को मोह लेने वाली है।
हम हँसे पर बोले नहीं-- इस गहराई के पीछे छुपे द्वंद्व कोपहचान पाओगे तुम? 
पहचानते तो...

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डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड | न्यूज़ीलैंड का जीवन परिचय