देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

मंजुल भटनागर

मंजुल भटनागर ने यूं तो विभिन्न विधाओं में साहित्य-सृजन किया है लेकिन बाल साहित्य में आपने विशेष योगदान दिया है। आपकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

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मंजुल भटनागर की कविताएं

इस पृष्ठ पर मंजुल भटनागर की कविताएं संकलित की जा रही हैं। नि:संदेह रचनाएं पठनीय हैं, विश्वास है आप इनका रस्वादन करेंगे।

 

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