देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

कुंडलिया

कुंडलिया मात्रिक छंद है। दो दोहों के बीच एक रोला मिला कर कुण्डलिया बनती है। आदि में एक दोहा तत्पश्चात् रोला छंद जोड़कर इसमें कुल छह पद होते है। प्रत्येक पद में 24 मात्राएं होती हैं व आदि अंत का पद एक सा मिलता है। पहले दोहे का अंतिम चरण ही रोले का प्रथम चरण होता है तथा जिस शब्द से कुंडलिया का आरम्भ होता है, उसी शब्द से कुंडलिया समाप्त भी होती है।

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कुण्डलिया दिवस  - भारत-दर्शन

त्रिलोक सिंह ठकुरेला साहित्य जगत का परिचित नाम है। उन्होंने लुप्तप्रायः कुण्डलिया छंद के लिए विशेष उद्यम किया है। उन्हीं की प्रेरणा से कुछ साहित्यकार 19 नवंबर को कुण्डलिया दिवस का आयोजन कर रहे हैं। 

 

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