देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

शारदा मोंगा | न्यूजीलैंड

न्यूज़ीलैंड निवासी शारदा मोंगा मूलत: भारत से हैं। हिंदी लेखन के अतिरिक्त सितार वादन व चित्रांकन करती हैं।

शिक्षा - आप राजस्थान विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातकोत्तर हैं।

कई चित्रकला प्रदर्शनियों में आपके चित्रों का प्रदर्शन हुआ है। विभिन्न पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

 

Author's Collection

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ग्रामवासिनी

भारत माता ग्रामवासिनी,
शस्य श्यामला सुखद सुहासिनी,

हिम-किरीट सुशोभित भाल है,
गंगा जमुना कंठ धार है,
सागर पवित्र पांव चूमता,
पा सुगंध समीर झूमता,
शीतल मलयज मधुर हासिनी ,
भारत माता ग्रामवासिनी।

जीवनदायी वायु प्राण है,
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भूमण्डलीय तापक्रम वृद्धि

प्रश्न चिन्ह? खतरा अत्यधिक,
जलप्रदूषण के खतरों से,
जीव जगत को बचावो,
पानी व्यर्थ न बहावो,
पानी है जीवनदाता,
पानी की हर बूँद बचाओ.

बुंदिया पानी की अनमोल,
जीव जगत,
जीवन की डोर,
पानी की हर बूँद खेत में,
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मैं तटनी तरल तरंगा, मीठे जल की निर्मल गंगा

मैं तटनी तरल तरंगा
मीठे जल की निर्मल गंगा

पर्वत की मैं बिटिया
नदी की निर्मल धारा

उद्गम स्थल की शिशुबाला,
सखी-धाराओं संग मिल

क्रीडा करती, खिलखिलाती,
गाती, इठलाती, इतराती,

बलखाती, तीव्र गति से
मुड जाती,गिर गिर पड़ती,

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रात भर का वह गहरा अँधेरा

रात भर का वह गहरा अँधेरा,
गहन अवसाद था बहुतेरा,

रजनी चुपचाप अश्रु बहाती,
तुहिन कणों से धरा नहलाती,

अरुणिमा पूरब में छटी जब,
रात की गंभीरता घटी तब,

नवल अरुण की लालिमा ले,
गगन मुख मंडल मुस्काया,

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