देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

देवेन्द्र कुमार मिश्रा

नाम: देवेन्द्र कुमार मिश्रा

जम्म तिथि: 21-03-1973

शिक्षा: एम.ए. समाजशास्त्र,
15 प्रमाणपत्रीय कोर्स

भाषा: हिन्दी

लेखन: 1991 से सतत् पत्र-पत्रिकाओं में कथा-कविता लेखन् |
7000 से अधिक कवितायें ।
300 कहानियाँ प्रकाशित ।
8 कथा संग्रह प्रकाशित |
27 काव्य संग्रह प्रकाशित |

सम्मान: देश भर की साहित्यिक संस्थाओं से 225 सम्मान-पत्र ।

पता: देवेन्द्र कुमार मिश्रा,
पाटनी कालोनी, भरत नगर,
चन्दनगाँव-छिन्दवाड़ा (म.प्र.) 480001

मो.: 9425405022

 

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हौसला

कागज की नाव बही
और डूब गई
बात डूबने की नहीं
उसके हौसले की है
और कौन मरा कितना जिया
सवाल ये नहीं
बात तो हौसले की है
बात तो जीने की है
कितना जिया ये बात बेमानी है
किस तरह जिया
कागज़ी नाव का हौसला देखिये
...

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भूखे-प्यासे

वे भूखे प्यासे, पपड़ाये होंठ
सूखे गले, पिचके पेट, पैरों में छाले लिए
पसीने से तरबतर, सिरपर बोझा उठाये
सैकड़ो मील पैदल चलते
पत्थर के नहीं बने
पथरा गये चलते-चलते।

टूटी आस, अटकती सांस लिए
घर को जा रहे हैं,
...

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