देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

अंजुम रहबर

अंजुम रहबर का जन्म 17 सितम्बर 1962 को मध्य प्रदेश के गुना जिले में हुआ था। उर्दू साहित्य में स्नातकोत्तर ( एमए) की पढ़ाई की। अंजुम रहबर ने 1977 में मुशायरों और कवि सम्मेलनों में भाग लेना आरंभ किया और कई राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों के लिए कविता पाठ किया। आप भोपाल की निवासी है। अमरीका, कनाडा, पाकिस्तान, ओमान, दुबई, कतर, जेद्दाह, शारजहा आदि अनेक देशों की काव्ययात्रा कर चुकी हैं। 

कृतियाँ: मलमल कच्चे रंगों की 

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पुरस्कार एवं सम्मान: इंदिरा गांधी अवार्ड, राम रिख मनहर अवार्ड, साहित्य भारती अवार्ड, हिंदी साहित्य सम्मलेन अवार्ड, कीर्तिमान अवार्ड आदि अनेक सम्मानों से अलंकृत हैं। 

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पता: बी एम 92, श्री जी टावर, टी 3 नेहरू नगर, भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत। 

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ईमेल: anjum.rehbarindia@gmail.com

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चेहरे से दिल की बात | ग़ज़ल

चेहरे से दिल की बात छलकती ज़रूर है,
चांदी हो चाहे बर्क चमकती ज़रूर है।

दिल तो कई दिनों से कहीं खो गया मगर,
पहलू में कोई चीज़ धड़कती ज़रूर है।

कमज़र्फ कह रहे हो मगर ये भी जान लो,
हो आँख या शराब छलकती ज़रूर है।

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