देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

संत दादू दयाल | Sant Dadu Dayal

संत कवि दादू दयाल का जन्म फागुन संवत् 1601 (सन् 1544 ई.) को हुआ था। दादू दयाल का जन्म भारत के राज्य गुजरात के अहमदाबाद शहर में हुआ था, पर दादू के जन्म स्थान के बारे में विद्वान एकमत नहीं है। दादू पंथी लोगों का विचार है कि वह एक छोटे से बालक के रूप में (अहमदाबाद के निकट) साबरमती नदी में बहते हुए पाये गये। दादू दयाल का जन्म अहमदाबाद में हुआ था या नहीं, इसकी प्रामाणिक जानकारी  नहीं हैं, फिर भी इतना निश्चित है कि उनके जीवन का बड़ा भाग राजस्थान में बीता।

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संत दादू दयाल के पद

पूजे पाहन पानी

दादू दुनिया दीवानी, पूजे पाहन पानी।
गढ़ मूरत मंदिर में थापी, निव निव करत सलामी।
चन्दन फूल अछत सिव ऊपर बकरा भेट भवानी।
छप्पन भोग लगे ठाकुर को पावत चेतन न प्रानी।
धाय-धाय तीरथ को ध्यावे, साध संग नहिं मानी।
ताते पड़े करम बस फन्दे भरमें चारों खानी।
बिन सत्संग सार नहिं पावै फिर-फिर भरम भुलानी।

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दादू दयाल की वाणी

इसक अलाह की जाति है, इसक अलाह का अंग।
इसक अलाह औजूद है, इसक अलाह का रंग।।

घीव दूध में रमि रह्या सबही ठौर।
दादू बकता बहुत है, मथि काढैं ते और।।

कहैं लखैं सो मानवी, सैन लखै सो साध।
मन की लखै सु देवता, दादू अगम अगाध।।

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