देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

भूषण | Bhushan

भूषण का जन्म 1613 में कानपुर जिले के तिकवापुर ग्राम में हुआ था। ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। कहते हैं भूषण निकम्मे थे। एक बार नमक मांगने पर भाभी ने ताना दिया कि नमक कमाकर लाए हो? उसी समय इन्होंने घर छोड दिया और कहा 'कमाकर लाएंगे तभी खाएंगे। प्रसिध्द है कि कालांतर में इन्होंने एक लाख रुपए का नमक भाभी को भिजवाया। हिन्दू जाति का गौरव बढ़े और उन्नति हो यह इनकी अभिलाषा थी। इस कारण वीर शिवाजी को इन्होंने अपना आदर्श बनाया तथा उनकी प्रशंसा में कविता लिखी। चित्रकूट नरेश के पुत्र रुद्र सोलंकी ने भी इनकी कविता सराही और इन्हें 'भूषण' की उपाधि दी।

इनके प्रसिध्द ग्रंथ हैं- 'शिवराज भूषण, 'शिवा बावनी तथा 'छत्रसाल-दशक, जिनमें वीर, रौद्र, भयानक और वीभत्स रसों का प्रभावशाली चित्रण है।

भूषण रीतिकाल के एकमात्र कवि हैं, जिन्होंने श्रृंगार रस से हटकर वीरता और देशप्रेम के वर्णन से कविता को गौरव प्रदान किया। भूषण की मृत्यु 1715 में हुई।

 

Author's Collection

Total Number Of Record :0 Total Number Of Record :0

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश