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पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र'
पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' (Pandey Bechan Sharma 'Ugra') को उनके राष्ट्रवादी व क्रांतिकारी लेखन के लिए जाना जाता है।
पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र' का जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले की चुनार तहसील में हुआ था। इसी तहसील में एक मोहल्ला है, 'सद्दूपुर'। इसी 'सद्दूपुर' में एक गली थी, 'बँभन-टोली' - यहीं 29 दिसंबर, 1900 को पांडेय बेचन का जन्म हुआ था। आपके पिताजी का नाम बैजनाथ पांडे व माताजी का नाम जयकली था।
पारिवारिक अभावों के कारण वे व्यवस्थित शिक्षा न पा सके लेकिन अपनी नैसर्गिक प्रतिभा और साधना से वे अपने समय के अग्रणी गद्य शिल्पी के रूप में प्रतिष्ठित हुए। अपने विशेष तेवर और शैली के कारण उग्र जी अपने समय के चर्चित लेखक रहे व आप महाकवि निराला के मित्र थे।
आप मतवाला-मंडल के प्रमुख सदस्य के रूप में आपकी विशेष पहचान रही है।
आपने कहानी और उपन्यास के अतिरिक्त आत्मकथा, संस्मरण, रेखाचित्र आदि भी लिखे। आपकी आत्मकथा अपनी खबर साहित्य जगत में बहुचर्चित रही है। समृद्ध भाषा के धनी ‘उग्र’ ने कहानी को एक नई शैली दी थी, जिसे आदरपूर्वक ‘उग्र-शैली’ कहा जाता है।
उग्र जी की कहानियों की भाषा सरल, अलंकृत और व्यावहारिक है, जिसमें उर्दू के व्यावहारिक शब्द भी अनायास ही आ जाते हैं।
मुख्य कृतियाँ
उपन्यास : चंद हसीनों के खतूत, दिल्ली का दलाल, बुधुवा की बेटी, शराबी, घंटा, सरकार तुम्हारी आँखों में, कढ़ी में कोयला, जीजीजी, फागुन के दिन चार, जूहू
नाटक : महात्मा ईसा, चुंबन, गंगा का बेटा, आवास, अन्नदाता माधव महाराज महान
कहानी : ‘रेशमी’, 'व्यक्तिगत’, ‘सनकी अमीर’, ‘चिनगारियाँ’, ‘पंजाब की महारानी’, '‘जब सारा आलम सोता है’, ‘दोजख की आग’, ‘उग्र का हास्य’, ‘निर्लज्जा’, ‘बलात्कार’, ‘चाकलेट', ‘इन्द्रधनुष', ‘कला का पुरस्कार’, 'उग्र की श्रेष्ठ कहानियाँ', ‘पाण्डेय बेचन शर्मा उग्र : श्रेष्ठ रचनाएं खण्ड-1 व 2
कविता : ध्रुवचरित
आलोचना : तुलसीदास आदि अनेक आलोचनात्मक निबंध
आत्मकथा : अपनी खबर
अन्य : गालिब : उग्र, उग्र का परिशिष्ट (संपादक : भवदेव पांडेय)
संपादन : आज, विश्वमित्र, स्वदेश, वीणा, स्वराज्य, भूत (हास्य-पत्र), उग्र (मासिक पत्रिका), मतवाला, संग्राम,विक्रम, हिंदी पंच इत्यादि अनेक पत्रिकाओं के संपादन से समय-समय पर जुड़े रहे, स्वदेश (दशहरा अंक का संपादन)
निधन
23 मार्च, 1967 को दिल्ली के जमुनापार स्थित कृष्ण नगर में आपका निधन हो गया।
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Pandey Bechan Sharma 'Ugra' | A Biography of Pandey Bechan Sharma Ugra in Hindi.
Author's Collection
Total Number Of Record :2उसकी माँ
दोपहर को ज़रा आराम करके उठा था। अपने पढ़ने-लिखने के कमरे में खड़ा-खड़ा धीरे-धीरे सिगार पी रहा था और बड़ी-बड़ी अलमारियों में सजे पुस्तकालय की ओर निहार रहा था। किसी महान लेखक की कोई कृति उनमें से निकालकर देखने की बात सोच रहा था। मगर, पुस्तकालय के एक सिरे से लेकर दूसरे तक मुझे महान ही महान नज़र आए। कहीं गेटे, कहीं रूसो, कहीं मेज़िनी, कहीं नीत्शे, कहीं शेक्सपीयर, कहीं टॉलस्टाय, कहीं ह्यूगो, कहीं मोपासाँ, कहीं डिकेंस, सपेंसर, मैकाले, मिल्टन, मोलियर---उफ़! इधर से उधर तक एक-से-एक महान ही तो थे! आखिर मैं किसके साथ चंद मिनट मनबहलाव करूँ, यह निश्चय ही न हो सका, महानों के नाम ही पढ़ते-पढ़ते परेशान सा हो गया।
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जेल में क्या-क्या है
पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र' 1926-27 में जेल में बंद थे लेकिन जेल में होने पर भी उनके प्राण किसी प्रकार अप्रसन्न नहीं थे। देखिए, जेल में पड़े-पड़े उनको क्या सूझी कि जेल में क्या-क्या है, पर कविता रच डाली -
‘बैरक' है, ‘बर्थ', ‘बेल' बेड़ियाँ हैं, बावले हैं,
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