देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।
मुक्तिबोध के जन्म-दिवस पर | 13 नवंबर
 
 

13 नवंबर को हिंदी साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म-दिवस होता है। आज उन्हीं की कुछ रचनाओं के साथ उन्हें याद करते हैं।

 
मुक्तिबोध की कविता

मैं बना उन्माद री सखि, तू तरल अवसाद
प्रेम - पारावार पीड़ा, तू सुनहली याद
तैल तू तो दीप मै हूँ, सजग मेरे प्राण।
रजनि में जीवन-चिता औ' प्रात मे निर्वाण
शुष्क तिनका तू बनी तो पास ही मैं धूल
आम्र में यदि कोकिला तो पास ही मैं हूल
फल-सा यदि मैं बनूं तो शूल-सी तू पास
विँधुर जीवन के शयन को तू मधुर आवास
सजल मेरे प्राण है री, सजग मेरे प्राण
तू बनी प्राण! मै तो आलि चिर-म्रियमाण।

मुक्तिबोध की कविताएं

यहाँ मुक्तिबोध के कुछ कवितांश प्रकाशित किए गए हैं। हमें विश्वास है पाठकों को रूचिकर व पठनीय लगेंगे।

मुक्तिबोध की हस्तलिपि में कविता

कृपया  इस पृष्ठ पर देखें  - मुक्तिबोध की हस्तलिखित में कविता। 

 

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