देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

कल के सपने (बाल-साहित्य )

Print this

Author: सरस्वती कुमार दीपक

बच्चे धरती के प्यारे हैं, 
ये कल के सपने न्यारे हैं।
जीवन की चंचल नदिया के, 
बच्चे अनमोल किनारे हैं।

जो हाथ पालते हैं इनको, 
उनके ये सरस सहारे हैं।
आशाओं की फूलवारी के, 
ये फूल सभी को प्यारे हैं। 

कल के, परसों के, बरसों तक, 
ये बालक पालनहारे हैं ।
ये बालक ही ऐसे सैनिक, 
जो नहीं किसी से हारे हैं।

-सरस्वती कुमार 'दीपक'

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश