उधर गगन में
सूरज की बिंदी
नीले नभ में
तैरते बादल
बादलों के बीच
उड़ते परिंदे।
इधर झील में
खिले कमल
मंद पवन
निश्चल बन
निहारती
केवल मौनता
कोई रच गया
निःशब्द कविता।
-डॉ अनीता शर्मा, चीन
निःशब्द कविता (काव्य) |
उधर गगन में
सूरज की बिंदी
नीले नभ में
तैरते बादल
बादलों के बीच
उड़ते परिंदे।
इधर झील में
खिले कमल
मंद पवन
निश्चल बन
निहारती
केवल मौनता
कोई रच गया
निःशब्द कविता।
-डॉ अनीता शर्मा, चीन