देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

सर्वप्रथम कागज़ निर्माता (विविध)

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Author: भारत-दर्शन संकलन

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ठंड के दिनो मे ऐसा कौन-सा प्राणी होगा, जो अपने आपको 'असुरक्षित' महसूस न करता हो, परतु मधुमक्खियों अपने छत्तों में इन कठिन दिनों में भी आराम से काम मे लगी रहती हैं। एक विशेष प्रकार की मधुमक्खियों लकड़ी में बिल बनाकर रहती हैं, इन्हें 'बढ़ई मधुमक्खी' कहा जाता है। इन्हें 'कागज बर्र' भी कहते हैं। इनके छत्ते को किसी भी बडे भवन मे आसानी से देखा जा सकता है। कभी-कभी ये हमारे आस-पास मॅडराती भी रहती हैं। 

यह भी आश्चर्यजनक है कि बर्र और ततैया संसार के सर्वप्रथम 'कागज़ निर्माता' कहे जाते हैं। जिस प्रकार पक्षियो से मानव ने हवा में उडने की प्रेरणा ली और हवाई जहाज बनाया, उसी प्रकार मानव ने कागज़ी बर्र तथा ततैया से कागज़ बनाने की प्रेरणा ली होगी। 

आज भी ये लकड़ी को पीसकर और अपने मुँह की लार मिलाकर कागज जैसी वस्तु तैयार करती हैं।

[भारत-दर्शन संकलन]

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